चायवाले से पीएम तक का सफर
“चायवाले से 7 रेसकोर्स तक : नरेन्द्र मोदी का अद्भुत सफ़र”
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*लेखक*--एस.के.ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार
*** : एक साधारण आरंभ, असाधारण उपलब्धि
भारत के आधुनिक राजनीतिक इतिहास में शायद ही कोई ऐसा व्यक्तित्व हुआ हो, जिसने अपने जीवन की संघर्षपूर्ण यात्रा को राष्ट्र-निर्माण के पथ में इतना गहराई से समर्पित किया हो, जितना श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने किया है।
7 अक्टूबर 2001 — यह वही ऐतिहासिक दिन है जब एक साधारण कार्यकर्ता ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
, 7 अक्टूबर 2025 को, वे अपने जनसेवा के 25वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं — यह केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की जीवंत गाथा है।
*बाल्यकाल की चाय की गंध में तपता हुआ स्वप्न
वडनगर की तंग गलियों में, स्टेशन के किनारे छोटे से चाय स्टॉल पर बैठा एक बालक जब यात्रियों को चाय परोसता था, तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि यही बालक एक दिन विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था का सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व करेगा।
गरीबी, संघर्ष, उपेक्षा — सब कुछ देखा, परंतु झुकना नहीं सीखा।
उस छोटे से बालक ने अपनी आंखों में भारत के उत्थान का स्वप्न देखा — और वही स्वप्न आगे चलकर करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं का रूप बन गया।
*संघ से संस्कार, राजनीति से राष्ट्रनीति तक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में रहकर नरेन्द्र मोदी ने अनुशासन, त्याग और राष्ट्र के प्रति समर्पण का पाठ सीखा।
संघ के ‘प्रचारक’ के रूप में देश के अनेक हिस्सों में घूमते हुए उन्होंने भारत की आत्मा को करीब से महसूस किया।
वहीं से उन्होंने यह समझा कि भारत को केवल सत्ता नहीं, बल्कि सेवा की राजनीति चाहिए — ऐसी राजनीति जो जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से ऊपर उठकर जन-सेवा के आदर्श पर टिकी हो।
*2001 : गुजरात के पुनर्निर्माण का आरंभ
जब 2001 में गुजरात भूकंप से टूट चुका था, उसी समय पार्टी ने नरेन्द्र मोदी को राज्य की बागडोर सौंपी।
राज्य प्रशासन और जनता, दोनों ही निराशा में थे — पर मोदी जी ने उस निराशा को ऊर्जा में बदल दिया।
उनकी पहचान बन गई – "विकास पुरुष"।
गुजरात के गाँवों से लेकर उद्योगिक नगरों तक बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और सुरक्षा की नई कहानी लिखी गई।
"सबका साथ, सबका विकास" का जो बीज उन्होंने तब बोया, वही आगे चलकर भारत के विकास मॉडल की नींव बना।
*2014 : चायवाले की पुकार, राष्ट्र की स्वीकार
2014 में जब नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तो यह किसी व्यक्ति की नहीं, बल्कि भारत की सामूहिक चेतना की जीत थी।
एक चायवाले की सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि हर उस भारतीय के सपनों की उड़ान थी, जो सीमित साधनों के बावजूद असीम संभावनाओं में विश्वास रखता है।
7 रेसकोर्स रोड (अब लोक कल्याण मार्ग) तक का उनका सफर इस बात का प्रतीक बन गया कि –
> "भारत में जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे कितना भी साधारण क्यों न हो, यदि वह समर्पित है, तो असाधारण बन सकता है।"
प्रधानमंत्री के रूप में ‘न्यू इंडिया’ की परिकल्पना
मोदी युग का भारत केवल नीतियों में परिवर्तन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सोच के पुनर्जागरण का काल है।
उन्होंने शासन को केवल प्रशासन नहीं, बल्कि मिशन बनाया।
जन धन योजना से वित्तीय समावेशन
स्वच्छ भारत मिशन से सामाजिक क्रांति
उज्ज्वला योजना से महिलाओं की गरिमा
मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया से नई अर्थव्यवस्था
आत्मनिर्भर भारत से वैश्विक मंच पर भारत की पहचान
इन योजनाओं में न केवल नीतिगत दृष्टि है, बल्कि एक भावनात्मक सूत्र भी है — जनहित सर्वोपरि।
*वैश्विक मंच पर भारत की नई पहचान
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत आज विश्व का सम्मानित, निर्णायक और आत्मविश्वासी राष्ट्र बन चुका है।
G20 की अध्यक्षता, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, और वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत पर आधारित विदेश नीति — यह सब भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ को सशक्त बनाते हैं।
विश्व आज भारत को ‘नेता’ के रूप में देखता है, और मोदी जी को ‘विश्व-नेता’ के रूप में स्वीकार करता है।
*व्यक्तित्व : कर्मयोगी और तपस्वी नेता
नरेन्द्र मोदी का जीवन दर्शन गीता के कर्मयोग पर आधारित है —
“कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन।”
उनका हर निर्णय, हर अभियान, हर भाषण इस बात का द्योतक है कि उन्होंने स्वयं को राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पित कर दिया है।
उनकी दिनचर्या, अनुशासन, साधारण जीवनशैली और जनता के प्रति निरंतर उत्तरदायित्व ने उन्हें एक लोकप्रिय नहीं, बल्कि लोक-प्रेरणा बना दिया है
*25वां वर्ष : सेवा से समर्पण की यात्रा
आज जब नरेन्द्र मोदी अपने सार्वजनिक जीवन के 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तब उनके नेतृत्व की यात्रा केवल राजनीतिक सफलता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रेरणा बन चुकी है।
उनका हर वर्ष, हर निर्णय, हर नीति – जनता को समर्पित रही है।
> “स्वप्न समर्पित, प्रश्न समर्पित,
आयु का क्षण क्षण समर्पित।”
यह केवल काव्य नहीं, बल्कि मोदी जी के जीवन का वास्तविक अर्थ है।
:** भारत के लिए जीना ही उनका जीवन
नरेन्द्र मोदी का जीवन इस तथ्य का जीवंत प्रमाण है कि ईमानदार निष्ठा, कठोर परिश्रम और अटूट विश्वास से कोई भी व्यक्ति इतिहास की दिशा बदल सकता है।
उनकी यात्रा केवल ‘चायवाले से प्रधानमंत्री’ तक की नहीं, बल्कि संघर्ष से संस्कार, सेवा से सफलता, और व्यक्ति से व्यवस्था परिवर्तन तक की यात्रा है।
आज जब देश उनके नेतृत्व में ‘विकसित भारत’ की ओर अग्रसर है, तब यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी —
> “मोदी केवल नाम नहीं, भारत की आकांक्षा, आस्था और आत्मबल का पर्याय हैं।”



